अपठित पद्यांश – Apathit Padyansh in Hindi Grammar

अपठित पद्यांश – Apathit Padyansh in Hindi

अपठित पद्यांश को हल करने हेतु महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश –

— अपठित पद्यांश का शीर्षक कविता का शीर्षक होता है।

— जिस विषय पर सम्पूर्ण पद्यांश केन्द्रित होता है, वह शीर्षक होता है। जिसकी सीमाएँ 1 से 5 शब्द तक होती है।

— प्रश्नों के उत्तर मूलभाव के अनुसार देने चाहिए। कुछ विद्यार्थी कविताओं की लाइनें ही उतार देते है,जो गलत है।

— अपठित पद्यांश के लिये छन्द, अलंकार, रस, भाषा का ज्ञान होना आवश्यक है।

— भाव पक्ष के अन्तर्गत रस और गुण आते हैं।

— कला पक्ष (शिल्प पक्ष) के अन्तर्गत छन्द और अलंकार आते हैं।

निर्देश : निम्नलिखित पद्यांशों को पढ़कर नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिये।

(1) अपठित पद्यांश (Apathit Padyansh) का उदाहरण 

बात सीधी थी पर एक बार

भाषा के चक्कर में

ज़रा टेढ़ी फँस गई।

उसे पाने की कोशिश में

भाषा को उलटा-पलटा

तोड़ा मरोड़ा

घुमाया फिराया

कि बात या तो बने

या फिर भाषा से बाहर आए-

लेकिन इससे भाषा के साथ-साथ

बात और भी पेचीदा होती चली गई।

विचार सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्न –

— ‘भाषा के चक्कर में’ – पंक्ति से क्या अन्तर आया है?

भाषा के चक्कर में आने से जो बात सीधी थी, वह जटिल और उलझनपूर्ण हो गई। भाषा को अलंकृत एवं प्रभावपूर्ण बनाने के फेर में भावों की अभिव्यक्ति क्लिष्ट हो गई।

— सीधी बात कहने के लिए कवि ने क्या कोशिश की?

सीधी बात को व्यक्त करने के लिए कवि ने कविता में प्रयुक्त भाषा को अर्थात् शब्दों को तोड़ा-मरोड़ा, घुमाया-फिराया, उलटा-पलटा और अलंकृत भाषा का प्रयोग करने की कोशिश की।

— कवि द्वारा भाषा को तोड़ने-मरोड़ने का क्या परिणाम रहा?

कवि द्वारा भाषा को तोड़ने-मरोड़ने, उलटने-पलटने का यह परिणाम रहा कि सहज-सीधी बात भी जटिल हो गई, कथ्य और अधिक पेचीदा, क्लिष्ट और कठिन हो गया।

— प्रस्तुत काव्यांश से क्या सन्देश व्यक्त हुआ है?

प्रस्तुत काव्यांश में यह सन्देश व्यक्त हुआ कि सीधी बात कहने के लिए भाषा को जानबूझकर जटिल मत बनाओ। शब्दों को तोड़ने-मरोड़ने से भाव-सौन्दर्य नष्ट हो जाता है तथा अर्थ की सहज अभिव्यक्ति में बाधा आ जाती है।

भाव व शिल्प सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्न –

— उपर्युक्त काव्यांश का भाव-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए –

इसमें यह भाव व्यक्त हुआ है कि कथ्य को सरल एवं सम्प्रेष्य बनाने के लिए शब्दों की तोड़-मरोड़ उचित नहीं रहती है। कविता सरल, सहज एवं सुन्दर भाव-बोध के अनुरूप होनी चाहिए।

— काव्यांश के भाषा सौन्दर्य पर प्रकाश डालिये –

प्रस्तुत काव्यांश में उलटा-पलटा, घुमाया-फिराया आदि शब्द-युग्मों का सार्थक प्रयोग किया गया है। ‘टेढ़ी फँस गई’, ‘पेचीदा होती चली गई’ आदि वाक्यांश लाक्षणिक एवं भावाभिव्यंजक हैं।

(2) अपठित पद्यांश (Apathit Padyansh) के उदाहरण 

हम दूरदर्शन पर बोलेंगे

हम समर्थ शक्तिवान

हम एक दुर्बल को लाएँगे

एक बंद कमरे में

उससे पूछेगे तो आप क्या अपाहिज हैं?

तो आप क्यों अपाहिज हैं?

आपका अपाहिजपन तो दुःख देता होगा देता है?

(कैमरा दिखाओ इसे बड़ा-बड़ा)

हाँ तो बताइये आपका दुःख क्या है?

जल्दी बताइये वह दुःख बताइये

बता नहीं पाएगा।

 

विचार सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्न –

— प्रस्तुत काव्यांश में किस पर व्यंग्य किया गया है और क्यों?

प्रस्तुत काव्यांश में दूरदर्शन के कार्यक्रम संचालकों एवं उनकी कार्य-शैली पर व्यंग्य किया है; क्योंकि वे अपने कार्यक्रम को प्रभावपूर्ण और सशक्त कारोबारी बनाने के चक्कर में अपंगों की मानवीय भावनाओं का तिरस्कार करते हैं।

— अपाहिज से क्या प्रश्न पूछे जाते हैं?

दूरदर्शन के कार्यक्रम संचालकों के द्वारा अपाहिज से प्रश्न पूछे जाते हैं कि बताइये, क्या आप अपाहिज हैं? आप अपाहिज क्यों हैं और अपाहिजपन से क्या आपको दुःख होता है? बताइये, आपका क्या दुःख है?

— संचालक दूरदर्शन पर अपंग से जल्दी दुःख प्रकट करने के लिए क्यों कहता है?

कार्यक्रम-संचालक दूरदर्शन पर सीधे प्रसारण को रोचक बनाना चाहता है। वह अपाहिज से संवेदना न रखकर यही चाहता है कि बिना समय गँवाये वह अपना दुःख दर्द प्रकट कर दे, ताकि लोग सुनकर करुणा से भर जावें।

— अपाहिज बार-बार पूछने पर भी अपना दुःख क्यों नहीं बता पाता है?

अपाहिज से पूछे गये प्रश्न सहृदयता एवं संवेदना से रहित होते हैं, उन्हें सुनकर अपाहिज के हृदय को ठेस लगती है। इस कारण वह बार-बार पूछने पर भी अपना दुःख नहीं बता पाता है।

भाव व शिल्प सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्न –

— प्रस्तुत काव्यांश में वर्णित भाव बताइये।

दूरदर्शन के कैमरे के सामने अपाहिज से लगातार प्रश्न पूछने से कार्यक्रम संचालक की संवेदनाहीनता पर आक्षेप किया गया है। उसका आचरण अमानवीय बताया गया है।

— काव्यांश के शिल्प-सौन्दर्य को स्पष्ट कीजिए।

इसमें अनुप्रास, यमक, काव्यलिंग और आक्षेप अलंकार प्रयुक्त हैं। भाषा तत्सम, भावानुकूल एवं व्यंजनापूर्ण है। इसमें बिम्बात्मकता भी है।


हिंदी व्याकरण – Hindi Grammar


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