वीर्यनाश से होने वाले मानसिक असर

2. मानसिक असर

इस बात को अच्छे से समझ लीजिए कि, आपके जीवन में उत्साह, आत्मविश्वास, एकाग्रता, मोटिवेशन और जीवन में आगे बढ़ने की तीव्र इच्छा आदि न होना यह सब सामान्य बात नहीं है। यह सब आपके दशकों के वीर्यनाश का परिणाम है।

उत्साह (Excitement, Energy) का विनाश :

पोर्न और हस्तमैथुन की आदत आपकी विचारसरणी ऐसी बना देती है कि फिर आपका स्वभाव जीवन के हर क्षेत्र में बिना मेहनत किए सब कुछ पाने का हो जाता है।

आप जीवन के हर क्षेत्र में सिर्फ़ दिन में सपने देखने वाले, कल्पनाएँ करने वाले और हवाबाज़ी करने वाले इंसान बन जाते हो। और आपमें कोई काम करने का प्राकृतिक उत्साह नहीं रहता है। यह भी आपके दशकों के वीर्यनाश का ही परिणाम है।

आत्मविश्वास (Confidence) और साहस का विनाश :

एक समय था जब पुरुष अपने हाथों से शेर और हाथी तक से लड़ लेते थे। और 16 वर्ष की आयु में युद्ध में हज़ारों लोगों को परास्त करते थे।

और आज समय है जब 30-35 वर्ष के अधेड़ युवा को किसी लड़की का रिप्लाई न आने पर पैनिक अटैक आने लगते हैं। यह भी आपके दशकों के वीर्यनाश का ही परिणाम है।

स्मरणशक्ति (Memory) का विनाश :

सदियों से भारत में समस्त वैदिक ज्ञान को सिर्फ़ मनुष्यों के मस्तिष्कों में संग्रह किया जाता था। हज़ारों लाखों श्लोकों को विद्यार्थी ऐसे कंठस्थ करके आगे की पीढ़ी को भी कंठस्त करवाया करते थे।

आज आप गीता के कुछ श्लोक भी ढंग से याद नहीं रख सकते। यह भी आपके दशकों के वीर्यनाश का ही परिणाम है।

बुद्धि (Intelligence) का विनाश :

2014 में अमेरिका की JAMA Psychiatry में एक रिसर्च दी थी। जिसमें यह सिद्ध किया गया था की पोर्न व हस्तमैथुन करने वालों का मस्तिष्क (Brain) समय के साथ छोटा होने (Shrinks your brain) लगता ह जिससे व्यक्ति में कुछ ही वर्षों में छोटी छोटी बातों में अनिश्चितता, निर्णय शक्ति में निर्बलता और सामाजिक मूर्खता का प्रमाण बढ़ने लगता है।

उन मनोवैज्ञानिकों के अनुसार यह असर कोकेन और गाँजा आदि नशीले ड्रग्स के जितना नुकसानदायक सिद्ध हुआ है। यह भी आपके दशकों के वीर्यनाश का ही परिणाम है।

एकाग्रता (Focus) का विनाश :

आज के समय में हम युवाओं के पास इंटरनेट और टेक्नोलॉजी के कारण उस स्तर की सुविधाएँ और ज्ञान के स्रोत हैं जो संपूर्ण इतिहास में कभी किसी के पास नहीं थे।

अपने हाथ की उँगलियों के नीचे समस्त जगत का ज्ञान एक गूगल सर्च पर मिल जाता है। जितना ज्ञान कुछ वर्षों पहले लोग दशकों के परिश्रम और गहन अध्ययन के पश्चात भी प्राप्त नहीं कर पाते थे उतना ज्ञान आज आप कुछ ही मिनटों में एक गूगल सर्च करके पा सकते हो, वह भी निःशुल्क रूप से।

परंतु फिर भी 98% लोग इसका कोई फ़ायदा नहीं उठा पाते क्योंकि उस ज्ञान को प्राप्त करने के लिए जो एकाग्रता चाहिए होती है वही आप में नहीं रही है।

जिससे हाथ में सोने का कटोरा लेकर भी आप उसमें भीख ही माँग रहे हैं। यह भी आपके दशकों के वीर्यनाश का ही परिणाम है।

प्रेरणा (Motivation) का विनाश :

अपना स्वयं का Gym है फिर भी व्यायाम करने का मन नहीं होता। पुस्तकों से भरे AC वाले कक्ष है फिर भी पढ़ाई करने का मन नहीं होता। पिताजी का बना बनाया व्यवसाय है फिर भी काम करने का मन नहीं होता। उच्च स्तर के कंप्यूटर, टेबलेट, फ़ास्ट wifi और इंटरनेट की दुनिया में कमाई के अनगिनत अवसर भी है, परंतु मेहनत करने का मन नहीं होता।

इतिहास के सबसे सुविधामय समय में होने के पश्चात भी आप में मोटिवेशन नहीं है। जीवन में पौरुष दिखाने और सफलता प्राप्त करने के लिए कोई अंदरूनी इच्छा नहीं है। यह भी आपके दशकों के वीर्यनाश का ही परिणाम है।

संकल्प शक्ति का विनाश :

‘कल से सुबह प्रतिदिन उठकर नहा धोकर 10 मिनट व्यायाम करूँगा’ ‘कल से रोज़ कम से कम 4 माला का हरिनाम जप करूँगा’

‘कल से फिरसे कभी भी प्याज़ लहसुन का खाना नहीं खाऊँगा’

प्रतिदिन ऐसे अलग अलग संकल्प लेते हो परंतु फिर कल आने पर फिर से वैसे के वैसे ही बन के रह जाते हो जैसे पहले थे। कभी अपने छोटे से छोटे संकल्प पर भी दृढ़ रूप से डटे नहीं रह सकते।

यह भी आपके दशकों के वीर्यनाश का ही परिणाम है।

डिप्रेशन को निमंत्रण :

पूरे विश्व में बढ़ते हुए युवाओं के डिप्रेशन और आत्महत्या के किससें भी इसी बात की संपूर्ण पुष्टि करते है जिसको देखकर आज विज्ञान समझ रहा है कि,

1. शरीर में टेस्टोस्टेरोन की कमी होने से डिप्रेशन और आत्मघाती विचार (Suicidal Thoughts) बढ़ते है। – NCBI 1989 Research

2. शरीर में टेस्टोस्टेरोन की बढ़ोतरी व्यक्ति में आत्मसम्मान, आत्मविश्वास और मानसिक स्वास्थ्य बढ़ाती है। – NCBI 2020 Research

3. हस्तमैथुन से शरीर में जिंक और मैग्नीशियम की कमी हो जाती है और इनकी कमी व्यक्ति में डिप्रेशन और एंजाइटी बढ़ाती है। – NCBI 2013

4. उच्च टेस्टोस्टेरोन स्तर आपके आत्मविश्वास और ध्यान शक्ति बढ़ाता है, और कार्यदक्षता (Productivity) बढ़ाता है। – PUBMED 1990

5. सिर्फ़ सात दिनों के वीर्य रक्षण से शरीर में टेस्टोस्टेरोन 147% तक बढ़ता है जोकि आत्मविश्वास (Confidence) की अत्यंत ही अधिक वृद्धि करता है। इसीलिए टेस्टोस्टेरोन को पुरुषों का Success Hormone कहा जाता है। – PUBMED 2020, PUBMED 2003

6. टेस्टोस्टेरोन की वृद्धि व्यक्ति में उत्साह (Energy) और मोटिवेशन की वृद्धि करता है। और तनाव (Depression) घटाकर मानसिक स्वास्थ्य में त्वरित सुधार लाता है। – PUBMED, 2001

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